Aaditya Hriday Stotram , आदित्य हृदय स्तोत्र: 30 Power full Slockas Positive energy of sun

Aaditya Hriday Stotram , आदित्य हृदय स्तोत्र: 30 Power full Slockas Positive energy of sun

 

Aaditya Hriday Stotram, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ (Recitation of Aaditya Hriday Stotram):

आदित्य हृदय स्तोत्रभगवान सूर्य को समर्पित एक पवित्र स्तोत्र है। यह रामायण केयुद्ध कांडका एक हिस्सा है, विशेष रूप से उन अध्यायों में पाया जाता है जहां भगवान राम रावण के साथ युद्ध से पहले भगवान सूर्य का आशीर्वाद मांगते हैं। स्तोत्र भगवान सूर्य की स्तुति में रचा गया है और उनके आशीर्वाद, शक्ति और मार्गदर्शन का आह्वान करने के लिए इसका जाप किया जाता है।


आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व (The Significance of Aaditya Hriday Stotram):

  • आरोग्य और दीर्घायु: आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आरोग्य और दीर्घायु मिलता है, क्योंकि सूर्य देव जी का आशीर्वाद शरीर और मन को प्रशांति और स्वस्थता प्रदान करता है।
  • अस्त्र शक्ति और वीरता: युद्ध के समय आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से वीरता और अस्त्र शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे योद्धा को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  • मानसिक शांति: सूर्य देव का स्मरण और उनके पूजन से मानसिक शांति बनी रहती है और व्यक्ति को मानव जीवन की चुनौतियों को पार करने में मदद मिलती है।

कुण्डली में आदित्य हृदय स्तोत्र का उपयोग (Use of Aaditya Hriday Stotram in Kundali Remedies):

  • सूर्य ग्रह की दशा में: जब किसी के कुण्डली में सूर्य ग्रह की दशा चल रही होती है और व्यक्ति को सूर्य से संबंधित कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ उपयुक्त होता है। इससे सूर्य ग्रह की शांति होती है और उसकी दशा में सुख-शांति मिलती है।
  • सूर्य दोष निवारण: ज्योतिष में कहा जाता है कि कुछ व्यक्तियों की कुण्डली में सूर्य दोष होता है, जिससे उन्हें सूर्य से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ सूर्य दोष को दूर करने में मदद कर सकता है।

अन्य सूर्य देव के स्तोत्र (Other Stotrams for Surya Devta):

  • सूर्या सहस्त्रनाम स्तोत्र (Surya Sahasranama Stotram): इस स्तोत्र में सूर्य देव के हजार नामों की महिमा है और इसका पाठ करने से सूर्य ग्रह की कृपा मिलती है।
  • सूर्या कवचम् (Surya Kavacham): यह स्तोत्र सूर्य देव के कवच की महिमा को बयान करता है और उसकी रक्षा करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • भगवद गीता (Bhagavad Gita): भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सूर्य देव के रूप में अपनी विशाल सार्थकता दिखाई थी, जिससे उसकी आत्मा को प्रेरित किया गया था।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ (Recitation of Aaditya Hriday Stotram):

  • सबसे पहले, सुबह के समय निर्धारित स्थान पर बैठें।
  • पूजा के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र को शुद्धि दृष्टि से पढ़ें।
  • अगर संभावना हो, तो सूर्य देव की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  • प्रतिदिन नियमित रूप से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से आपको आत्मा की ऊर्जा और सूर्य देव की कृपा मिलेगी।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ (Recitation of Aaditya Hriday Stotram):

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना एक अत्यंत पुन्यकर क्रिया है जो हमें सूर्य देव के आशीर्वाद और शक्ति से युक्त करती है। इस स्तोत्र को नियमित रूप से पाठ करने से हम अपने जीवन में सुख, संतुलन, और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यहां आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने के लिए एक सामान्य विधि दी गई है:

आदित्य हृदय स्तोत्र (Aaditya Hriday Stotram)

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्
रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् 1

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्
उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा 2

राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम्
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे 3

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्
जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् 4

सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम्
चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वधैनमुत्तमम् 5

रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् 6

सर्वदेवतामको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः
एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः 7

एष ब्रह्मा विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः 8

पितरो वसवः साध्या अश्विनौ मरुतो मनुः
वायुर्वन्हिः प्रजाः प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः 9

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गर्भास्तिमान्
सुवर्णसदृशो भानुहिरण्यरेता दिवाकरः 10

हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान्
तिमिरोन्मथनः शम्भूस्त्ष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् 11

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोऽहरकरो रविः
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शंखः शिशिरनाशनः 12

व्योमनाथस्तमोभेदी ऋम्यजुःसामपारगः
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः 13

आतपी मण्डली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः
कविर्विश्वो महातेजा रक्तः सर्वभवोदभवः 14

नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते 15

नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः 16

जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः 17

नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः
नमः पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते 18

ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूरायदित्यवर्चसे
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः 19

तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः 20

तप्तचामीकराभाय हस्ये विश्वकर्मणे
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे 21

नाशयत्येष वै भूतं तमेव सृजति प्रभुः
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः 22

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः
एष चैवाग्निहोत्रं फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् 23

देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमप्रभुः 24

एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव 25

पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम्
एतत् त्रिगुणितं जप्तवा युद्धेषु विजयिष्ति 26

अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि
एवमुक्त्वा ततोऽगस्त्यो जगाम यथागतम् 27

एतच्छ्रुत्वा महातेजा, नष्टशोकोऽभवत् तदा
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान् 28

आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान्
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् 29

रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थे समुपागमत्
सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् 30

अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितनाः परमं प्रहृष्यमाणः
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति 31

इति श्रीमद्वाल्मीकिरामायणे आदित्यहृदयं सम्पूर्णम्।

प्रारंभिक तैयारी:

  • सबसे पहले, एक शुद्ध और पवित्र स्थान का चयन करें जहां आप पूजा कर सकते हैं।
  • सूर्य देव की मूर्ति या चित्र को सामने रखें, यदि संभावना हो।

पाठ की विधि:

  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सबसे अच्छे रूप में सुबह के समय करें।
  • अपने मन को शांति में लाने के लिए कुछ लम्हे बैठें और श्वास लें।
  • अपनी दृष्टि को सूर्य देव की मूर्ति या चित्र पर ध्यानित करें।
  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ श्रद्धापूर्वक और समर्पित भाव से करें।
  • पाठ के बाद, सूर्य देव की आराधना करें और उनसे अपनी मनोकामनाएं मांगें।
  • प्रतिदिन नियमित रूप से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से आपको आत्मा की ऊर्जा और सूर्य देव की कृपा मिलेगी।

आदित्य हृदय स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़ने से हम सूर्य देव के आशीर्वाद से युक्त होते हैं और हमारा जीवन सुखमय, समृद्धि भरा और सफल होता है। यह हमें मानव जीवन की सभी कठिनाईयों से पार करने में सहायक होता है और हमें आत्मा के उद्दीपन की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

सूर्या सहस्त्रनाम स्तोत्र” in Sanskrit:

सूर्यास्तोत्रं सूर्योत्तमं श्लोकमिदं पुण्यं यः पठेत् सूर्यज्ञे सदा सुखी भवेत्।

सूर्यपुत्रं यमाग्निसमाननामादित्यं वन्दे प्रबाहुदं यस्य।

सप्ताश्वरथस्त्वरितः किरीटी शङ्खचक्रो भानुजन्मना।

यस्य वासन्तं कुचकुञ्जमायातं विद्युदभास्करं भानुरायाति॥

सप्तशीर्षा मरीचयोऽथ श्वस्तान्येकैकसप्ततिः।

ततो रविरनुद्यत्य येषामीशानमीश्वरः॥

पुनश्च पूर्वमुदीचीं दिशं ज्योतिरनुसंचरेत्।

ततो राविरनुद्यत्य येषां देवानां देवताः॥

ऋचो यजूंषि निगमा अवाङ्मनसांश्च जाग्रतीमुतास्वपन्तः।

सप्तधा विद्यन्ति ते तस्य शिरोजटा मुखानि विधृताश्च बाहवः॥

तस्य सप्ताश्वसं वाहान् सप्ताश्वरथपादूः।

सप्तास्यायुर्दशाग्रे तस्य रथक्षत्रमालया॥

सप्तास्यायुर्दशाग्रे सर्वसाम्ये वशे स्थितम्।

तस्यायुर्भाग्यजननी सप्तश्वः सप्तपुत्रिकाः॥

अप्सुपञ्चजयं गर्भमुपसंहरतीति विश्रुतः।

तस्यां गर्भसमुत्पन्नं महादेवश्च यः स्वयम्॥

तस्य तेजः समुत्पन्नं विश्वरूपं तपोमयम्।

तेजस्विनं त्वचं चक्षुः सर्वज्ञं बुद्धिमान्विशाम्॥

सततं पुण्यकर्मणा तस्य योगानुगतस्य च।

तेजस्विनं नमाम्येह भास्करं भवमीश्वरम्॥

नीलाञ्जनसमानेत्रं भास्करं भुवनेश्वरम्।

ब्रह्मविष्णुशिवादीनां प्रभादिपं सनातनम्॥

यत्रैकबिल्वनेत्रेण प्रज्वलन्तं तथापरम्।

तत्र सूर्यसहस्त्रं विप्रेषु प्रकटीकृतम्॥

पुनरप्युवाच स्तोत्रं भास्करस्य महात्मनः।

तत्तेऽहं सम्प्रवक्ष्यामि शृणु शृणु विभावसो॥

सूर्या कवचम् (Surya Kavacham)” in Sanskrit:

सूर्या कवचम्

सूर्यादित्यविमुक्ताभीतिहन्त्री क्षमामयाः। ततो रक्षेत सुप्ताग्नि गृहे यत्रा यत्रा जगत्॥

अपामारुतवायव्यास्तत्त्वकानां पुनर्यदि। प्रत्याहाराद्विसर्गाद्वा सूर्ये सूर्यं वदाति वा॥

सूर्यपुत्रं महाबाहुं श्रीवत्साङ्कं दिवाकरम्। शिवार्चनपरो नित्यं तपन्तं पापनाशनम्॥

कृतयुगादि चरणे रक्षोरूपेण संस्थितम्। गृहाणे राजपुत्राणां क्षत्रियाणां बलान्वितम्॥

चैत्रयुगादिचरणे वैश्यरूपेण संस्थितम्। पाण्डवानां बलं शीघ्रं गृहाणे सकलप्रधानम्॥

कलियुगादिचरणे शूद्ररूपेण संस्थितम्। पूजयेत्सूर्यपुत्रं तं सच्छिष्यः सकलं सुखम्॥

Conclusion:

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से हम सूर्य देव की कृपा को प्राप्त करते हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र हमें आरोग्य, शक्ति, और मानसिक स्थिति में सुधार प्रदान करता है और सूर्य देव के आशीर्वाद से हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

“Aaditya Hriday Stotram” is a sacred hymn dedicated to Lord Surya, the Sun God. It is a part of the “Yuddha Kanda” of the Ramayana, specifically found in the chapters where Lord Rama seeks the blessings of Lord Surya before his battle with Ravana. The stotram is composed in praise of Lord Surya and is chanted to invoke his blessings, strength, and guidance.

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